मेंने देखा है कि हमारी
सेना और अर्ध सैनिक बलों में कई व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार हैं l वो जीवनभर
तुलना ही करते रहते हैं l सही मायने में सरकार देश के सैनिकों के साथ न्याय नही
करती है l एक सैनिक की सेवा शर्तें सभी अर्ध सैनिक बलों के कर्मियों से बहुत भिन्न
तथा कठिन होती है l मैं प्रमुख बातों पर
तुलनात्मक प्रकाश डालता हूँ l
अनिवार्यता
1. सेना देश के दुश्मनों से सीधे सीमा पार उनसे
युद्ध करती है जो बहुत साहस तथा जोखिम का काम है और कठिन परिस्थितियों में देश की
आंतरिक व्यवस्था भी संभालती है जबकि अर्ध सैनिक बल केवल आंतरिक व्यवस्था देखते है
और सीमा की सुरक्षा शांतिकाल में ही करते है और युद्ध के समय उनके स्थान पर सीमा की सुरक्षा का कार्य सेना संभाल लेती है
और उनको पीछे कर दिया जाता है l इसलिए देश के लिए सेना आवश्यक है अर्ध सैनिक बल
आवश्यकताएं पड़ने पर ही चाहिए l
2. अर्ध सैनिक बल के बिना भी राज्य सरकारें अपने
राज्य की आंतरिक व्यवस्था अपने पुलिस बल से संभाल सकती है और संभालनी
भी चाहिए l क्योकिं
राज्य सरकारों की पुलिस अपना काम ठीक से नही करती इसलिए अर्ध सैनिक बलों की जरूरत
पड़ती है जबकि सेना के बिना देश का आस्तित्व ही नही बचता है l इसलिए देश के सैनिकों
का और व उनकी विधवाओं तथा बच्चों का ख्याल रखना जरूरी है l उनको पेंसन देना हमारा
अनिवार्य कर्तव्य है और अर्ध सैनिक बलों व अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए देश के
संसाधनों पर निर्भर करता है l
सुविधाएँ
1. सेना को केवल CSD केंटिन की अतिरिक्त सुविधा है
वो भी एक्स सर्विसमैंन होने के बाद क्योंकि सर्विस के दौरान तो सेना आम जनता और
शहरों से दूर रहती है इसलिए CSD Canteen होना उनके लिए आवश्यक है l यह सेना की
अपनी आंतरिक व्यवस्था है इसका सरकार कोई आर्थिक बोझ नही है l सरकार CSD Canteen
में बिकने वाले सामान पर केवल टैक्स में छूट देती है वरना इसमें काम करने वाले कर्मचारियों
तनखाह इसमें बिकने वाले सामान के प्रॉफिट में से दिया जाता है इसलिए CSD सेना का
आपना प्रबंध है l जब अर्ध सैनिक बल सेना
के आधीन काम करते है तो उन्हें भी सेना की सारी सुविधाएँ मिलती है जिनमें Cantten की भी सुविधाएँ है l
2. बाकि की जो सुविधाएँ है वो सभी भर्ती की अपनी
अपनी शर्तों के अनुसार मिलती है l लगभग सभी सुविधाएँ सेना व अर्ध सैनिक बलों में
सामान्य है l बहुत से अर्ध सैनिक बल कर्मियों को संदेह हो जाता है कि उन्हें सैनिकों
से कम सुविधाएँ मिलती है l उदहारण के तौर पर निम्नलिखित देखे :-
(क)
दोनों का Pay Scale एक जैसा है l
(ख)
दोनों के परिवार के रहने के लिए मकान या HRA मिलता है l
(ग)
दोनों को राशन मिलता है या राशन के बदले रूपए मिलते है l
(घ)
दोनों को ड्यूटी करने के लिए ड्रेस मिलती है और ड्यूटी परआने-जाने के लिए परिवहन मिलता है तथा परिवार के लिए सालाना मुफ्त वारेन्ट
या LTC मिलता है l
(ङ) दोनों को परिवार सहित मुफ्त
में मेडिकल की सुविधाएँ मिलती है या ईलाज
के लिए पैसे मिलते है l
(च) पूर्व सैनिकों को ECHS (Ex-Service Contributory Health Scheme) और पूर्व अर्ध सैनिक बल कर्मियों को CGHS(Central Government Health Scheme) के माध्यम से मेडिकल की सुविधाएँ मिलती है l
असमानताएं
एक सैनिक यदि 16 वर्ष की आयु में भर्ती होता
है और उसका प्रोमोशन न हो तो उसे 15 साल की सेवा के बाद 31 साल की उम्र में जब
उसके परिवार को आर्थिक तौर पर उसकी नोकरी की जरूरत होती है तब उसे अनिवार्य रूप से रिटायर कर दिया जाता है l
यदि वह प्रोमोशन हो कर नायक बन जाए तो सेवा के 20 साल बाद, हवलदार बन जाए तो 22 साल बाद, नायब सूबेदार बन जाए तो 24 साल
बाद, सूबेदार बन जाए तो 28 साल बाद और अपने आखरी पद यानी सूबेदार मेजर बन जाए तो
भी 32 साल बाद अनिवार्य रूप से ये समझ कर और उसे एक्स-सर्विसमैंन का दर्जा देकर
रिटायर कर दिया जाता है कि अब उसके शरीर में अपने पद के अनुसार दुश्मन देश से
युद्ध करने की क्षमता कम हो जाती है l परन्तु इस कम उम्र में रिटायर्मेंट के बाद
भी सरकार के पास पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण के सियाय पुनर्वास की कोई गारंटीड
योजनाए नही है जबकि अर्ध सैनिक बल कर्मी 55 से 58 साल तक नोकरी कर सकते है तो उनके
लिए आरक्षण जैसे सुविधाओं का हक ही नही बनता है l
एक
बात और देखने में आई है l यदि किसी सैनिक
की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाए तो उसकी परिवारिक पेंसन को तीन भागो में वर्गीकृत
किया गया है l पहली साधरण परिवारिक पेंसन यानि तनखाह की 30% दूसरी स्पेशल परिवारिक
पेंसन यानि तनखाह की 60% और तीसरी एनहास रेट ऑफ़ फेमली पेंसन यानि तनखाह का 100% l
इसके अनुसार सेवा के दौरान मरने वाले सैनिक की प्रत्येक विधवा को अलग – अलग पेंसन
मिलती है जबकि अर्ध सैनिक बल के साथ – साथ देश के किसी भी सरकारी कर्मचारी की सेवा
के दौरान मृत्यु हो जाने पर उसकी विधवा को उसके पति को मिलने वाली आखरी तनखाह उसकी
रिटायर्मेंट की उम्र हो जाने तक प्रत्येक विधवा को मिलती है l सरकार ने इस विसंगति
को दूर करना चाहिए l
Exploitation
यह सही है कि सेना
और अर्ध सैनिक बलों में अधिकारीयों द्वारा अपने कर्मियों का अपने-अपने स्वार्थ के
लिए दुरूपयोग किया जाता है और ये तभी संभव होता है जब उच्च अधिकारी जैसे
CO/Brigade Commander/GOC या कमांडेंट/DIG आदि को अपने लिए सेवादार चाहिय l जब
उनको 5-5 सेवादार चाहिए तो निचे वालो को एक या दो तो चाहिए ही और वो उनको रोक नही
सकते l यदि सरकार द्वारा उच्च अधिकारीयों पर कठोर कार्यवही का प्रावधान करदे तो यह
सारा अत्याचार खत्म किया जा सकता है l
इसी प्रकार आर्थिक
भ्रस्टाचार पर भी कठोर कार्यवाही करके जिसमे राशन बेचने तक के घिनोने कृत्य शामिल है
उनको रोका जा सकता है या बिलकुल कम किया जा सकता है l
हमारे देश की
विडंबना देखिए यहाँ प्रत्येक विभाग में शिकायत के लिए प्रॉपर चैनल बनाया हुआ है
यानि जिसके खिलाफ आपने शिकायत करनी उसी के माध्यम से आप अपनी शिकायत भेज सकते है l Direct नही भेज सकते l आप विचार कर सकते है कि ऐसे में आप की शिकायत का क्या होगा और आपका क्या होगा l यह
पूर्णतया सत्य है की उसका अधिकारी शिकायतकर्ता का जीना हराम कर देगा और संभव है
यदि शिकायत गंभीर है तो उसे मरवा भी सकता है वरना उसे पागल तो आवश्य कर देगा l
दुःख का विषय तो ये
है कि देश के प्रधान मंत्री को छोड़ कर ज्यादातर लोगो और अधिकारयों व कर्मचारियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएँ
और धन मिलना चाहिए फिर चाहे भ्रष्टाचार से आए या अत्याचार से आए l देश में कोई भी
सक्षम अधिकारी इस व्यवस्था में सुधार करना नही चाहता l
सतबीर सिंह यादव
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